Machander Nath Ki Kahani Bhag 3 || मछंदर नाथ की कहानी भाग 3 || Machander Nath Ki Katha Bhag 3|| मछेन्द्रनाथ की कथा भाग 3
Machander Nath Ki Kahani Bhag 3 || मछंदर नाथ की कहानी भाग 3 || Machander Nath Ki Katha Bhag 3|| मछंदर नाथ की कथा भाग 3
Machander Nath Ki Kahani Bhag 3 || मछंदर नाथ की कहानी भाग 3 || Machander Nath Ki Katha Bhag 3|| मछंदर नाथ की कथा भाग 3
इसी प्रकार देवी का अनुष्ठान करते हुए सात दिन बीत गये और तब जाकर देवी प्रसन्न हुईं। देवी माता ने पूछा कि बेटा तुमने किस कारण से मेरा अनुष्ठान किया है?
यह सुनकर मछंदर नाथ बोले कि सावरी म्रत्र विद्या को कविता में रचने का मेरा विचार है। इसीलिये आप मेरी सहायता कर मेरी मंत्र विद्या को सफल बनावें।
इतना सुन देवी प्रसन्न होकर योगी का हाथ पकड़कर अपने साथ मार्तण्ड पर्वत ले गयीं। वहां एक वृक्ष था जो मंत्रोच्चारण करने से सोने के समान चमक कर अति सुन्दर दिखाई देने लगा।
तब देवी ने योगी को वृक्ष की डालियों पर बैठे अनेक देवताओं के दर्शन कराये। देवी ने वहां एक ऐसा चमत्कार दिखाया कि योगी और देवताओं की बहुत पुरानी जान पहचान है।
फिर देवी जी बोलीं कि यहां से थोड़ी दूरी पर ब्रह्मगिरी पर्वत के नजदीक ही अंजनी पर्वत है। वहीं पर काली का मंदिर है। पहले जाकर उनको नमस्कार करना और फिर दक्षिण दिशा में जाकर गंगा के पार पहुँचो वहां तुम्हें निर्मल जल से भरे 100 तालाब दिखेंगे। उसमें तुम नागर वेल डालना।
जिस तालाब में बेल मुर्झा जायेगा उस तालाब में स्नान नहीं करना। उसमें स्नान करना और मूर्छा आने पर सहस्र का पाठ करना।
इसके बाद कांच के तालाब में से जल निकालकर सूर्य को अर्घ देना व नमस्कार कर बाकी जल वृक्ष में डाल देना। ऐसा करने से सभी देवी देवता खुश होकर वरदान देंगे।
यदि इसी तरह कार्य सिद्ध न हो तो यह प्रक्रिया लगातार 6 माह तक करते रहना। ऐसा करने से निश्चित ही देवी देवता खुश होकर तुम्हारी मनोकामना पूर्ण करेंगे।
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मछंदर नाथ ने सारा कार्य पूरा मन लगाकर किया और सभी देवी देवता 7 दिनों के भीतर ही खुश हो गये। इसके बाद मछंदर नाथ अंजनी पर्वत पर भी गये और वहां काली मां के दर्शन भी किये।
इसके पश्चात वे नागरवेल साथ में लेकर सरोवर देखने गये और वहां उन्होंने 100 तालाब देखे जिनके अंदन उन्होंने बेलपत्रों को डाल दिया।
उन्हीं सौ सरोवरों में से एक का नाम आदित्य सरोवर था जिसमें डाली गये वेल के पौधे निकल आये।
जब उन्होंने स्नान किया तो वे मूर्छित हो गए। थोड़ा सा होश आने पर उन्होंने देवी के कहने के अनुसार जाप किया और ऐसा करने से सूत्र उनके निकट आ गये।
उन्हें सिर पर हाथ रखकर मनोकामना पूर्ण होने का वरदान भी दिया।
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