Machander Nath Ki Kahani Bhag 33 || मछेन्द्रनाथ की कहानी भाग 33|| Machander Nath Ki Katha Bhag 33 || मछेन्द्रनाथ की कथा भाग 33
Machander Nath Ki Kahani Bhag 33 || मछेन्द्रनाथ की कहानी भाग 33|| Machander Nath Ki Katha Bhag 33 || मछेन्द्रनाथ की कथा भाग 33
Machander Nath Ki Kahani Bhag 33 || मछेन्द्रनाथ की कहानी भाग 33|| Machander Nath Ki Katha Bhag 33 || मछेन्द्रनाथ की कथा भाग 33
एक समय दतात्रेय जी गिरनार पर्वत पर विराजमान थे तब मछेन्द्रनाथ ने हाथ जोड़कर कहा कि गुरूदेव कुछ तंत्र विद्या के लिये भी बतायें जिससे इस जग के प्राणियों का भी कुछ भला हो सके।
तब दतात्रेय जी बोले कि आप और गोरखनाथ दोनों सदा ही जग कल्याण में लगे रहते हो तो आपके कहे अनुसार कुछ अपने प्रयोग बताता हूँ।
ये एकदम विश्वसनीय हैं और कम से कम पढ़ा लिखा व्यक्ति भी इन तंत्रों का प्रयोग सरलतापूर्वक प्रयोग कर सकता है। दतात्रेय जी आगे बोलते हैं कि-
हे महायोगी मछेन्द्रनाथ जो विद्याएं देवताओं को भी दुर्लभ हैं वह तंत्र विद्या मैं तुमसे कहता हूँ। कृपा कर इसे तुम किसी भी अधर्मी व्यक्ति को कभी मत बताना। सिर्फ भगवान के भक्त को ही बताना श्रेष्ठ है।
इन्हें कान लगाकर ध्यानपूर्वक सुनो। इसमें तिथि बार और नक्षत्र का कोई बंधन नहीं है। सिर्फ तंत्रसार में कही गयी जड़ी-बूटियों द्वारा ही सरलता से किया जा सकता है।
उदाहरण के लिये निराहार रहकर काफी दिनों तक जीवित रहना, अधिक भोजन को पचा जाना, बांझ के पुत्र होना, मृत अवस्था में पुत्र का जीना, युद्ध में विजयी होना, भूत-प्रतों को नष्ट करना, सर्प-बिच्छू आदि का विष निर्वाण करना।
मेरा कहना कदापि झूठ नहीं हो सकता इसलिये तंत्र कल्प अत्यन्त गोपनीय है अत: इसे अधर्मियों से गुप्त रखना परम धर्म है।
Also Read –



मछेन्द्रनाथ केे मारण प्रयोग
यह प्रयोग अपने प्राणों पर संकट के समय पर ही करना चाहिये। छोटे-मोटे कारण से किसी को मारना अधर्म है और महापाप भी। ज्ञानी जनों को इन दोनों से ही दूर रहना चाहिये।
इसीलिये धर्मपूर्वक चलकर अपनी रक्षा करें। पहले ज्ञानरूपी मंत्रों से ब्रह्मा को बिना समझे प्रयोग न करे नहीं तो करने वाला खुद दोषी होता है।
(1). पद्य केसर सहित चिता की भस्मी में धतूरे का चूर्ण मिलाकर मंगलवार के दिन जिसके शरीर पर डालें वह उसी समय मर जायेगा।
(2). भिलावे का तेल, काले सांप का दांत, पद्य केसर और धतूरे का चूर्ण सभी को एक जगह मिलाकर जिसके शरीर पर डालोंगे उसकी मृत्यु हो जाती है।
(3). मनुष्य की हड्डी का चूर्ण जो पान में खाता है वह मृत्यु को प्राप्त हो जाता है।
(4). भरणी नक्षत्र मंगलवार के दिन चिता की लकड़ी जिसके द्वार पर गाड़ दी जाये उसकी एक महीने के अंदर मृत्यु हो जाती है।
(5). काले सांप की चर्बी की बत्ती को धतूरे के बीज के तेल में जलायें और मनुष्य की खोपड़ी में काजल पारें तथा उसमें चिता की भस्मी और पांचों नमक मिलाकर जिसके शरीर पर डाले उसे तुरंत यमराज पकड़ कर ले जाते हैं।
(6). बिच्छू व मांस का चूर्ण उल्लू के मांस में मिलाकर जिसके शरीर पर डालोगे उसकी मृत्यु हो जायेगी।
(7). पद्य केसर के चूर्ण में उल्लू की विष्टा मिलाकर जिसके शरीर पर डाले वह सीधे यमलोक जाता है।
(8). गधे की विष्टा पद्य केसर मे मिलाकर जिसके बदन पर डालोगे उसकी मृत्यु हो जाती है।
(9). शत्रु की विष्टा को नरकपाल में रखकर और कपाल पर शत्रु का नाम लिखकर उसके द्वार में गाड़ देने से वह विष्टा सूखने से पहले ही यमलोक चला जायेगा।
(10). गिरगिट की चर्बी का तेल जिसके शरीर पर डालोगे वह चाहे जितना भी गुणी हो तुरंत यम सदन चला जायेगा।
इसके बाद दतात्रेय जी ने कहा कि हे योगी मछेन्द्रनाथ अब मैं बिना सिद्धि वाले जो भी मुख्य प्रयोग है उन्हे तुमसे कहता हूँ।
मछेन्द्रनाथ केे बिना सिद्धि वाले प्रयाेग
(1). सहदेवी के रस में तुलसी के बीजों का चूर्ण घोंटकर रविवार के दिन लगाने से सकल जगत मोहित हो जाता है।
(2). कदली के रस में हरताल और असंगध को गोरोचन के साथ पीसकर तिलक लगाने से लोग मोहित हो जाते हैं।
(3). काकड़ा सिधो, चंदन, वच, कुट इन पांचों दवाओं को अपने मुख और वस्त्रों को धूप देने से राजा-प्रजा पशु-पक्षी सभी मोहित हो जाते हैं।
(4). खाने वाले पान की जड़ को घिसकर उसका तिलक करने से सारा जगत मोहित हो जाता है।
(5). सिंदूर सफेद वच को पान के रस में पीसकर तिलक लगाने से सभी लोग मोहित हो जाते हैं।
(6). अपामार्ग, भृगराज, लावंती, सहदेवी सब को पीसकर तिलक करने से जग यानि त्रिलोक मोहित हो जाता है।
(7). सफेद दूब और हरताल को एक साथ पीसकर तिलक करने से सारा जग मोहित हो जाता है।
(8). कपूर को कदली के रस में पीसकर तिलक करने से जग मोहित हो जाता है।
(9). गूलर के फूल की बत्ती बनाकर रात्रि को मक्खन में जलावें और उसका काजल पार कर आंखों में अंजन करने से जग मोहित हो जाता है।
(10). सफेद धुधची के रस में ब्रह्मडण्डी जड़ को पीस कर शरीर पर लेप करने से सारा जग मोहित हो जाता है।
(11). तुलसी के पेड़ो को छाया मे सुखाकर उसमें असंगध और भांग के बीज मिलाकर गाय के दूध के साथ चार-चार माशे की गोलियां बनायें और प्रात: उठकर एक गोली खायें तो सारा संसार मोहित हो जाता है।
(12). कड़वी घीया के तेल में कपडे की बत्ती बनाकर जलावें और उसका काजल आंखों में लगाने से सारा संसार मोहित हो जाता है।
(13). अनार के पंचांग को धुधची के साथ पीसकर तिलक लगाने से सकल जग मोहित हो जाता है।
इसके बाद दतात्रेय बोले कि अब मैं स्तम्भन नामक प्रयोगों का वर्णन करता हूँ जिसके प्रयोग मात्र से ही कार्य सिद्ध हो जाते हैं।


मछेन्द्रनाथ केे स्तम्भन प्रयोग भाग 1
(1). मेंढक की चर्बी धीग्वार के रस में मिलाकर अंगों पर लेप करने से अग्नि स्तम्भन हो जाता है।
(2). मदार के रस में धीग्वार का रस मिलाकर बदन पर लेप करने से अग्नि से शरीर नहीं जलता है।
(3). शहद में कटौली की जड़ पीसकर सूँघने से निद्रा नहीं आती।
(4). कटौली की जड़ को शहद के साथ पीसकर आंख में अंजन करने से भी नींद नहीं आती।
(5). स्त्री यदि रेड़ का बीज खा ले तो गर्भ नहीं गिरता है।
(6). कमर मे धतूरे का बीज बांधने से भी गर्भ स्तम्भन नहीं होता है।
(7). चौलाई की जड़ को पके चावल के पानी के साथ पीसकर गर्भवती को खिलाने से गर्भ नहीं गिरता है।
(8). योनी में धतूरे का चूर्ण रखने से भी स्तम्भन हो जाता है।
(9). कुम्हार के हाथ में लगी मिट्टी में शहद मिलाकर बकरी के दूध के साथ खाने से भी गर्भपात नहीं होता।
(10). चौथे दिन योनि में नीम की लकड़ी का धुंआ देने से गर्भपात संबंधी सभी विकार दूर हो जाते हैं।
(11). रविवार के दिन ब्रह्मडण्डी वच और कुट का चूर्ण बनाकर पान में जिसे खिला दोगे वह सर्वदा को आपके वश में हो जायेगा।
(12). बड़ के पेड़ की जड़ को पानी में घिसकर राख मिलाकर तिलक लगाने से सब लोग वशीभूत हो जाते हैं।
(13). कपिला गाय के दूध में अपमार्ग की जड़ पीस कर माथे पर तिलक लगाने से सारा संसार वश में हो जाता है।
(14). छाया मे सहदेवी को सुखा लेवे और फिर उसके चूर्ण को पान में खिलाने से खाने वाला वश में हो जाता है।
(15). सहदेवी और गोरोचन को एक साथ घिसकर तिलक करने वाला सबको बस में कर लेता है।
(16). जो अपने माथे पर गूलर की जड़ को घिसकर लगाता है वह सभी को प्रिय हो जाता है।
(17). पान में ओदुम्बर की जड़ रखकर जिसे खिला दे वही बस में हो जाता है।
(18). सरसों और देवदाल को इकट्ठा कर गोली बनाये और अपने मुख में रखकर जिससे बाते करेंगे वह तुरंत ही वशीभूत हो जायेगा।
Baba Machander Nath Ki Katha || Baba Machindra Nath || Machander Nath Ki Kahani || Machindranath Story In Hindi || Machander Nath Ki Kahani Bhag 33


मछेन्द्रनाथ केे स्तम्भन प्रयोग भाग 2
(1). केसर, सोंठ, कूट, हरताल और मेन्सिल का चूर्ण कर अपनी उंगली का रक्त मिलाकर तिलक करने से सारा जग मोहित हो जाता है।
(2). गोरोचन कमल पत्र कांगनी और लाल चंदन को पीस कर तिलक लगाने से सभी वश में हो जाते हैं।
(3). सफेद धुधची को छाया में सुखा कर कोपला गौर के दूध मे पीसकर तिलक करने से सभी लोग वश में हो जाते हैं।
(4). सफेद मदार को छाया में सुखाकर कपिला गाय के दुग्ध मे मिलाकर तिलक करने से सभी लोग वश में हो जाते हैं।
(5). इसके बाद सफेद दूब को कपिला बौ के दूध मे पीस कर शरीर पर लेप करते समय जो लोग देखेगें वह सभी वश मे हो जायेंगे।
(6). बेल की पत्ती और मादुलुंग को दूध में पीसकर तिलक करने से सर्व साधारण वश में हो जाते हैं।
(7). धीक्वार की जड़ और भांग के बीज एक पात्र मे पीस व मिलाकर तिलक करे तो लोग उसके वश में हो जाते हैं।
(8). केले के रस में हरताल, असगंध और सिंदूर को मिला कर ललाट पर तिलक लगाने से सभी मोहित हो जाते हैं।
(9). बकरी के दूध मे अपामार्ग का बीज घिसकर तिलक लगाने से सभी लोग वश में हो जाते हैं।
(10). आंवले के रस में मैन्सिल और असंगध मिला कर ललाट पर तिलक लगाने से सर्व लोक वश में हो जाता है।
(11). हरताल, गंधक और विष इन तीनों को पीस कर चूर्ण करे और गौ मूत्र में मिलाकर थोड़ा सा छिड़क देने से सारी बाधायें भाग जाती हैं।
(12). मुर्गी के अण्डे में छेद करके उसमें थोड़ा सा पारा भर दें और उसका मुँह बन्द कर दें तथा धूप में रखने पर वह अण्डा नाचने लगेगा।
(13). मदार, बड़ और गूलर के दूध को लेकर एक पात्र में रख दें फिर उसमें खूब पानी भर दें। तब वह सारा दूध के समान ही दिखायी देगा।
(14). अगस्त के फूलों के रस को सात दिन तक सफेद सुरमें को घोंट कर आठवें दिन आंखों मे लगाओ तो दिन में तारे नजर आयेंगे।
Also Read –
- मेहंदीपुर बालाजी के इन रहस्यों को वैज्ञानिक भी सुलझा नहीं पाए | Mehandipur Balaji Mysteries
- द अमेजिंग स्पाईडर मैन मूवी 2012 || The Amazing Spider Man Movie 2012 Hindi Explaination Plot
- The Amazing SpiderMan 2 Explained In Hindi || द अमेजिंग स्पाइडर मैन 2 द राइज ऑफ इलेक्ट्रो हिंदी में मूवी स्टोरी
मछेन्द्रनाथ केे स्तम्भन प्रयोग भाग 3
(1). तांबे के बर्तन में नींबू के बीजों का तेल लगाने से मध्यकाल में सूर्य देव रथ सहित दिखाई देते हैं।
(2). गिरगिट की अंतरी और करंज के बीजों को बर्तन में पीसकर गोली बनावें तथा गोली को त्रिलोह में रखकर मुख में रखें तो भूख प्यास नहीं सताती।
(3). कमल का बीज और साठी के चावलों की खीर बकरी के दूध में बनाकर 12 दिन तक खाने से भूख नहीं लगती।
(4). बकरी के दूध में ताल मखाने की बीज भृगराज का बीज, घी, और पान की जड़ मिलाकर गोली बना लें और सवेरे-सवेरे खायें तो भूख-प्यास नहीं लगेगी।
(5). आंवला, अपामार्ग, कमल की जड़ और तुलसी की जड़ सबको एक साथ पीस कर गोली बना लें और प्रतिदिन एक-एक गोली गाय के दूध के साथ ले लें तो भूख नहीं लगेगी।
(6). कोमल फूल पत्ती वाली रेड़ के पेड़ की जड़ को प्रात:काल पान में रखकर खाने से भूख बन्द हो जाती है।
(7). दुषहरिया के पेड़ के फूल और पत्ती पीस कर घी के साथ जो खावे वह भीमसेन के समान भोजन करे।
(8). ऋतुवंती होने के बाद पवित्र होकर पलास वृक्ष के पत्ते एकत्रित कर किसी गर्भिणी स्त्री के दूध में पीसकर सारा दिन प्रसन्न रहकर, चिन्ता व शोक त्याग कर पीने से आठवें दिन पति से संगम करती है तो वध्या स्त्री अवश्य पुत्रवती हो जावेगी।
(9). शंखपुष्पी की जड़ को शीतल जल मे पीसकर माशा के प्रणाम से जो सात दिन पीती है और आठवें दिन पति से मिलती है तो वह निश्चित ही गर्भवती हो जाती है।
(10). जो स्त्री ऋतु स्नान के बाद जीवन राम के वृक्ष के एक पत्र को दूध में मिलाकर सात दिन पीती है वह पति के संगम से पुत्रवती हो जाती है।
(11). सफेद कदम्ब का पत्ता तथा कटेहरी की जड़ इन दोनों के समान भाग लेकर और पीसकर 5 दिन बकरी के दूध के साथ जो पीती है वह पति से संगम करके एक पुत्रवती बन जाती है।
Guru Machander Nath Ki Katha || गुरू मछेन्द्रनाथ की कथा || Baba Machander Nath Ki Kahani || Machander Nath Ki Kahani Bhag 33



मछेन्द्रनाथ केे स्तम्भन प्रयोग भाग 4
(1). बेल के बीजों का चूरन, घी और एक रंग वाली गौ के दूध के साथ एक महीने तक पीने से बांझ भी पति के संगम से पुत्रवती हो जाती है।
(2). कुष्मांडी की जड़ को भांगरा के रस मे पीसकर वन्ध्या स्त्री ऋतुकाल के बाद तीन दिन पीवे तो उसको अधिक आयु वाले पुत्र की प्राप्ति होती है।
(3). नींबू की जड़ को दूध में पकाकर और उसमे घृत मिलाकर ऋतुकाल बाद पीकर जो नारी पति के साथ संगम करती है उसे छोटी आयु का पुत्र प्राप्त होता है।
(4). पीपल के फल को छाया में सुखाकर उसका चूरन बना लें और थोड़ा सा मुख में रखकर ऊपर से गाय का दूध पीवे तो कामदेव के समान बली हो जावे।
(5). जो गाय के दूध के साथ घीग्वार की जड़ को उसमे औटा कर पीता है उसकी धातु पुष्ट हो जाती है।
(6). गम घीया को लाकर छाया में सुखा दें और सूख जाने के बाद उसमें असगन्ध, सफेद मूसली, गोखरू और भांग के बीजों को कूट कर पीस कर चूरन बना लें। और एक रंग की गाय के दूध के साथ एक-एक तोला सेवन करने से कामदेव के समान बली हो जावेंगे।
(7). रात को सोते समय जो सात बार आस्तिक मुनि को प्रणाम करता है उसे सांप का भय स्वप्न में भी नहीं सताता।
(8). मिश्री, खस, तगार, कुसुम और शहद इन पांचों को लिंग पर लेप करने से संभोग में बड़ा आनन्द आता है।
(9). भटकटैया की जड़ और फल, पीपल, काली मिर्च, शहद और गोरोचन इन सबका लिंग पर लेप करने से संभोग में काफी रूकावट होती है।
(10). गंधक को पत्थर पर पीसकर शहद में मिलाने से लिंग पर लगाने से संभोग करने में रूकावट होती है।
(11). नींबू का रस लिंग पर लगा मैथुन करने से बड़ी रूकावट होती है। यह सबसे आसान प्रयोग है।
(12). तिल और गोखरू का चूर्ण बकरी के दूध में औटा कर ठण्डा होने पर शहद में मिलाकर खाने के बाद मैथुन करने पर बड़ा आनन्द मिलता है।
(13). आंवले की छाल पानी में पीसकर उससे अपनी योनी धोयें तो तरूणी भी स्त्री के समान संभोग करती है।
(14). त्रिफला चूर्ण, लोहे का चूर्ण, ईख, भांगरे का रस और मिट्टी सभी को एक समान मात्रा में लेकर एक महीने तक ढके रखे तथा एक माह बाद सिर पर लेप करने से सफेद बाल काले हो जाते हैं और चार माह तक काले ही रहते हैं।
(15). सरसों, घी और नीम से पुननवी के पत्तों को मिलाकर धूप देने से गर्भिणी स्त्री और बालक की रक्षा होती है।
Also Read –
Tags:
Machander Nath Ki Kahani Bhag 33
Baba Machander Nath Ki Katha
Baba Machindra Nath
Machander Nath Ki Kahani
Machindranath Story In Hindi
आपको यह कहानी कैैैैसी लगी यह बात कृपया कर कॉमेण्ट सेक्शन में अवश्य बतायें। बाबा मछेेेेेेेेन्द्रनाथ ( Machander Nath) आप सभी की मनोकामना पूर्ण करेंं।
इस कहानी को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें बाबा के सभी भक्तों के साथ।
कॉमेण्ट सेक्शन में लिखें जय बाबा मछेन्द्रनाथ जी की।