पशुपतिनाथ मंदिर के इन रहस्यों से वैज्ञानिक भी हैरान हैं। Pashupatinath Temple Nepal Mystery
पशुपतिनाथ मंदिर के इन रहस्यों से वैज्ञानिक भी हैरान हैं। Pashupatinath Temple Nepal Mystery
पशुपतिनाथ मंदिर के इन रहस्यों से वैज्ञानिक भी हैरान हैं। Pashupatinath Temple Nepal Mystery
तो दोस्तों आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बतायेंगे जिसकी स्थापना वेदों के निर्माण से भी पहले की गई थी। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस मंदिर का शिवलिंग पारस पत्थर के समान है जो लोहे को भी सोना बना सकता है। यह मंदिर और इसमें बना शिवलिंग इतना विचित्र है कि इसके बारे में जानकर आप आश्चर्यचकित रह जायेंगे।
तो दोस्तों इस ब्लॉग पोस्ट में आप जानेंगे रहस्यमयी पशुपतिनाथ मंदिर के अनसुलझे रहस्यों के बारे में। इन रहस्यों को आजतक विज्ञान जगत भी नहीं समझ पाया है। तो चलिये शुरू करते हैं इस ब्लॉग पोस्ट को।
नेपाल का पशुपतिनाथ मंदिर, जिसके बारे में आज भी यही माना जाता है कि इसके अंदर भगवान शिव की मौजूदगी है। पशुपतिनाथ मंदिर को भगवान शिव के बारह ज्योर्तिलिंगों में से एक केदारनाथ धाम का आधा हिस्सा माना जाता है।
पशुपतिनाथ मंदिर नेपाल की राजधानी काठमाण्डू से लगभग 3.15 किलोमीटर दूर उत्तर-पश्चिम में देवपाटन गाँव में बागमती नदी के तट पर स्थित है। पशुपतिनाथ मंदिर के बारे में यह मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस मंदिर के दर्शन करता है उसे किसी भी जन्म में पशु की योनि प्राप्त नहीं होती है।
साथ ही यह भी मान्यता है कि पशुपति नाथ मंदिर में दर्शन करने से पहले नंदी जी के दर्शन नहीं करने चाहिये। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो उस व्यक्ति को पशु योनि मिलना तय हो जाता है। पशुपतिनाथ मंदिर के बाहर एक घाट स्थित है। इसे आर्य घाट के नाम से जाना जाता है।
पौराणिक काल से ही यह प्रथा चली आ रही है कि केवल इसी घाट का पानी ही मंदिर के अंदर ले जाया जा सकता है। अन्य किसी भी स्थान का जल आप अंदर नहीं ले जा सकते।
दोस्तों, आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पशुपतिनाथ मंदिर का ज्योतिर्लिंग चर्तुमुखी है। ऐसा माना जाता है कि यह पारस पत्थर के समान है, जो लोहे को भी सोना बना सकता है।
इस मंदिर में भगवान शिव की प्रतिमा तक पहुँचने के कुल चार रास्ते हैं। वे चारों दरवाजे चाँदी के हैं। पश्चिमी द्वार के सामने भगवान शिव के बैल नंदी जी की विशाल प्रतिमा है। इस प्रतिमा का निर्माण पीतल से किया गया है। इस परिसर में वैष्णव और शैव परंपरा के कई मंदिर और प्रतिमाएँ हैं।
नेपाल का पशुपतिनाथ मंदिर कई माइनों में प्रमुख माना जाता है। पशुपतिनाथ दरअसल चार चेहरों वाला लिंग है। पूर्व दिशा की ओर वाले मुख को तत्वपुरूष, पश्चिमी दिशा की ओर वाले मुख को सभ्यज्योति, उत्तर दिशा की ओर वामदेव और दक्षिण दिशा की ओर अघोरा कहा जाता है। ये चारों चेहरे तंत्र विद्या के बुनियादी सिद्धांत हैं।
कुछ लोग तो यह भी मानते हैं कि चारों वेदों के बुनियादी सिद्धांत भी यहीं से निकले थे। माना जाता है कि यह लिंग वेदों के लिखे जाने से पहले ही स्थापित हो चुका था।
पशुपतिनाथ मंदिर की पौराणिक मान्यताएँ || Pashupatinath Temple Nepal Mystery
दोस्तों पशुपतिनाथ मंदिर से जुड़ी कई पौराणिक मान्यताएँ भी हैं। कुरुक्षेत्र के महाभारत युद्ध के बाद अपने ही भाई-बंधुओं की हत्या करने के बाद पांडव बेहद दु:खी थे। उन्होंने गोत्र वध किया था। उन्हें अपनी करनी का पछतावा भी था और वे इसका पश्चाताप करना चाह रहे थे।
खुद को इस दोष से मुक्त कराने के लिये वे भगवान शिव की खोज में निकल पड़े। परंतु भगवान शिव भी यह नहीं चाहते थे कि जो जघन्य अपराध उन्होंने किया है उससे इतनी जल्दी उन्हें मुक्ति दे दी जाये। पांडवों को अपने पास आता देखकर भगवान शिव ने एक बैल का रूप धारण कर लिया और वहां से भागने लगे।
लेकिन पांडवों को उनका यह भेद पता लग गया और वे उन्हें पकड़ने का प्रयास करने लगे। इस भागादौड़ी के दौरान शिवजी जमीन में लुप्त हो गये। और जब वे पुन: अवतरित हुए तो उनके टुकड़े अलग-अलग जगह बिखर गये। नेपाल के पशुपतिनाथ में उनका मस्तिषक गिरा था।
और तभी से इस मंदिर को तमाम मंदिरों में सबसे खास माना जाने लगा। केदारनाथ में बैल का कूबढ़ गिरा था। बैल के आगे की दो टॉंगे तुंगनाथ में गिरीं। ये जगह केदार के रास्ते में ही पड़ती है।
बैल का नाभि वाला हिस्सा हिमालय के भारतीय हिस्से में गिरा। इस जगह को मद्महेश्वर कहा जाता है। यह एक बहुत ही शक्तिशाली मणिपूरक लिंग है। बैल के सींग जहां गिरे उस जगह को कल्पनाथ कहते हैं।
इस तरह भगवान शिव के शरीर के अलग-अलग टुकड़े अलग-अलग जगह पर मिले। उनके शरीर के टुकड़ो का इस तरह बिखरना कहीं न कहीं सात चक्रों से जुड़ा हुआ है।
पशुपतिनाथ दो शरीरों का सिर है। एक शरीर दक्षिणी दिशा में हिमालय के भारतीय हिस्से की ओर है। और दूसरा शरीर पश्चिमी दिशा की ओर है। पशुपतिनाथ मंदिर से 13 किलोमीटर दूर एक स्थान भक्तपुर है।
यहां के अवशेषों से आपको यह जानने को मिलेगा कि आखिर पूर्वी संस्कृति कैसी होती थी। भक्तपुर ऐसा स्थान है जिसे यह ध्यान में रखकर तैयार किया गया था कि यहां आने वाले हर शख्स को हर कदम पर ईश्वरीय शक्ति का आभास हो।
भक्तपुर का मतलब भी यही है तभी तो यहां पर हर पड़ाव पर वास्तव में एक मंदिर है। यहां पानी पीने की जगह पर भी एक मंदिर है, साफ-सफाई की जगह भी एक मंदिर है और यहां तक कि बातें करने की जगह भी एक मंदिर ही है।
पशुपतिनाथ मंदिर का संक्षिप्त विवरण
पशुपतिनाथ शिव के भक्तों के लिए एशिया के चार सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है। 5 वीं शताब्दी में निर्मित और बाद में मल्ल राजाओं द्वारा पुनर्निर्मित, कहा जाता है कि यह स्थल सहस्राब्दी की शुरुआत से ही अस्तित्व में था जब यहां एक शिव लिंग की खोज की गई थी।
नेपाल में सबसे बड़ा मंदिर परिसर, यह बागमती नदी के दोनों किनारों पर फैला है जिसे हिंदुओं द्वारा पवित्र माना जाता है। मुख्य शिवालय शैली के मंदिर में एक सोने का पानी चढ़ा हुआ छत है, चार भुजाएँ चांदी से ढकी हैं, और उत्तम लकड़ी की नक्काशी है। कई अन्य हिंदू और बौद्ध देवताओं को समर्पित मंदिर पशुपतिनाथ के मंदिर के चारों ओर हैं।
मुख्य मंदिर के द्वार से केवल हिंदुओं को ही जाने की अनुमति है। आंतरिक गर्भगृह में एक शिव लिंगम है और मंदिर के सामने नंदी की सबसे बड़ी मूर्ति है, जो शिव का वाहन है। परिसर में सैकड़ों शिवलिंग हैं।
वसंत ऋतु में बड़ा महा शिवरात्रि उत्सव नेपाल और भारत से सैकड़ों हजारों भक्तों को आकर्षित करता है। बागमती के पशुपति पहुंचने से पूर्व में शिव की पत्नी सती देवी को समर्पित गुहेश्वरी का मंदिर है।
पशुपतिनाथ मंदिर बागमती नदी के तट पर काठमांडू से 3 किमी उत्तर पश्चिम में स्थित है, मंदिर क्षेत्र में देउपाटन, जया बागेश्वरी, गौरीघाट (पवित्र स्नान), कुटुम्बहल, गौशाला, पिंगलास्थान और स्लेशमंतक वन भी शामिल हैं। यहां करीब 492 मंदिर, 15 शिवालय (भगवान शिव के मंदिर) और 12 ज्योतिर्लिंग (फालिक मंदिर) हैं।
पशुपतिनाथ मंदिर काठमांडू घाटी के सात यूनेस्को सांस्कृतिक विरासत स्थलों में से एक है। यह एक श्मशान स्थल भी है जहां हिंदुओं का अंतिम संस्कार किया जाता है। दाह संस्कार की रस्में बेहोश दिल वालों के लिए नहीं हैं; अभी भी आगंतुक पहाड़ी से नदी के उस पार से उत्सुकता से देख रहे हैं। इस दुनिया से बाहर के अनुभव के लिए पशुपतिनाथ मंदिर जाएँ।
पशुपतिनाथ मंदिर में दैनिक अनुष्ठान Pashupatinath Temple Nepal Mystery – पशुपतिनाथ भी दुनिया के कुछ जीवित सांस्कृतिक विरासत स्थलों में से एक है। अन्य सांस्कृतिक स्थलों या संग्रहालयों के विपरीत, पशुपतिनाथ दिन के हर समय, हर दिन लोगों की सक्रिय भागीदारी के साथ ऊर्जा का केंद्र है।
दोस्तों यदि आपने अपने जीवन में कभी भी पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन किये हैं तो उससे जुड़े अनुभव हमें अवश्य बताईयेगा। कमेण्ट सेक्शन में अपना अनुभव जरूर साझा करें। यदि आपको यह लेख पसंद आया तो अपने दोस्तों के साथ अवश्य शेयर करें।