सोमनाथ मंदिर के इन रहस्यों से वैज्ञानिक भी हैरान रह गये!! || Somnath Temple Mystery || Somnath Jyotirling Mandir Ka Rahasya
Somnath Jyotirling Mandir Ka Rahasya || सोमनाथ मंदिर के इन रहस्यों से वैज्ञानिक भी हैरान रह गये!! || Somnath Temple Mystery
जब विज्ञानिक सोमनाथ ज्योर्तिलिंग के नीचे गए तो ऐसा क्या हुआ कि विज्ञानिक और भारत सरकार के होश उड़ गए? Somnath Jyotirling Mandir Ka Rahasya

दोस्तों क्या आप जानते हैं कि 12 ज्योतिर्लिंगों में से सबसे प्रमुख ज्योतिर्लिंग, सोमनाथ मंदिर के नीचे कुछ रहस्यमयी चीजों की होने की बात पता चली है।
अब इसी कारण से शोधकर्ताओं ने मंदिर के नीचे एक कैमरा भेजा और उस कैमरे ने जो तस्वीर ली उसे देख कर सारे वैज्ञानिकों के होश उड़ गए।
किसी की समझ में यह नहीं आ रहा था कि आखिर यह चीज सोमनाथ मंदिर के अंदर कितने दिनों से थी पर आज तक किसी को पता नहीं चली।
दोस्तों यह वही सोमनाथ मंदिर है जिसे मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा सबसे अधिक बार तोड़ा गया। इतनी बार तोड़ा गया जिसका कोई हिसाब नहीं है। लेकिन फिर भी आज भी बहुत ही शौकत के साथ दुनिया के सामने खड़ा है।
आखिर वैज्ञानिकों को सोमनाथ मंदिर के अंदर ऐसा क्या दिखा जिसे देखकर सभी हैरान हो गए। अब अगर विज्ञान की मानें तो मंदिर के नीचे कई राज दफन हैं।
यदि ये राज सभी के सामने आ गए तो सबके होश उड़ जाएंगे। आखिर क्या है सोमनाथ मंदिर के नीचे का रहस्य? इन रहस्यों को जानने के लिए ध्यान से पढि़येगा यह पोस्ट।


दोस्तों , सोमनाथ मंदिर, भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से सबसे पहले स्थान पर आने वाला ज्योतिर्लिंग है। दोस्तों आपको जानकर हैरानी होगी कि सोमनाथ मंदिर को सबसे पहले किसने बनाया और कब बनाया गया इसकी जानकारी आज तक किसी को नहीं हो पाई है।
इस मंदिर को मुगलों ने कई बार लूटा, कई विदेशी ताकतों ने इस मंदिर को जड़ से उखाड़ फेंकने की नाकाम कोशिश किए। कई बार इस मंदिर की संपत्ति को लूटा गया।
पर जितनी बार इस मंदिर को नष्ट करने के लिए शत्रु पैदा हुए उतनी ही बार इस मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए पुण्य आत्माओं ने जन्म लिया।
यह मंदिर गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह में स्थित है। वेद के अनुसार इस मंदिर का निर्माण चंद्रदेव ने कराया था।
दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि सोमनाथ मंदिर का एक-एक कोना इतना रहस्यमयी है कि जिसका खुलासा आज तक नहीं हो सका।
2017 में वैज्ञानिकों की एक टीम को सोमनाथ मंदिर के नीचे कुछ अजीब चीज होने की बात पता चली। वैज्ञानिकों ने एक रोबोट को भेजा एक कंप्लीट तारकोल धातु पाई।
केवल यह चिनाई जैसे भूमि की जांच करने के लिए उत्साह का सर्वेक्षण करने का एक तरीका है। कुछ अजीब चीज होने की बात पता चलने पर वैज्ञानिकों ने सोमनाथ मंदिर के नीचे जीपीआर भेजा।
जीपीआर मतलब ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार जो कि एक बहुत ही अच्छी विधि है छवि प्राप्त करने के लिये और इसी कारण से उस रहस्यमयी चीज की छवि के लिए रडार का उपयोग किया गया।
यह कंक्रीट तारकोल धातु पाई केवल एक ऐसी भूमिकाओं की जांच करने का एक तरीका है।
जब सोमनाथ मंदिर के नीचे जीपीआर से शूट किया गया तो वैज्ञानिकों को मंदिर के ठीक नीचे तीन मंजिला इमारत मिला जिसे देखकर सबके होश उड़ गए।
ऐसा इसलिये, क्योंकि एक मंदिर के नीचे तीन मंजिला इमारत होना कोई साधारण सी बात नहीं है। इस पूरी घटना का खुलासा आईआईटी गांधीनगर और आर्कलॉजिकल डिपार्टमेंट के जरिए किए गए संशोधन में हुआ है।
इस शोध में पता चला था कि देश के करोड़ों लोगों की आस्था के प्रतीक ज्योतिर्लिंग सोमनाथ महादेव मंदिर परिसर में 3 मंजिला इमारत जमीन के भीतर दबी हुई है।
2017 में सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट की मीटिंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रभास पाटन सोमनाथ में पुरातत्व का करने का सुझाव दिया था।
इस सुझाव के दौरान आयकर विभाग ने इतिहास के पन्नों पर कई जानकारियां और पुरातत्व विभाग ने इतिहास के पन्नों को पलट कर कई रहस्य में जानकारियां सोमनाथ ट्रस्ट को दी।
आईआईटी गांधीनगर ने यह रिपोर्ट ट्रस्ट को दी। सोमनाथ मंदिर की मैनेजर विजय चावला का कहना है कि इस रिपोर्ट को हासिल करने का मकसद सोमनाथ के इतिहास को खंगालना था।


इस रिपोर्ट में सोमनाथ मंदिर प्रभास पाटन के इलाकों में किया गया, जिसमें गोलोक धाम, सोमनाथ मंदिर के द्वार से पहचाने जाने वाले मेन गेट से सरदार वल्लभभाई पटेल स्टैचू के आसपास के साथ ही बौद्ध गुफाओं को भी शामिल किया गया।
इस बारे में पढ़ने की एक रिपोर्ट ट्रस्ट को दी गई। इस रिपोर्ट के मुताबिक प्रभास पाटन सोमनाथ के गोलोक धाम में आए हुए गीता मंदिर के आगे के हिस्से से लेकर हिरण नदी के किनारे तक भी सर्वे में हो घर के अंदर एक पक्की चीज होने की बात सामने आई।
साथ ही दिग्विजय द्वार से सरदार पटेल स्टैचू के पास पक्का कनेक्शन मिला था जिसे पहले हटा दिया गया था।
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यह भूगर्भ में तीन मंजिला इमारत होने की बात सामने आई थी जिसमें पहली मंजिल ढाई मीटर, दूसरी मंजिल 5 मीटर और तीसरी मंजिल 30 मीटर की गहराई में आने के सुबूत मिले।
आईआईटी गांधीनगर के एक्सपोर्ट के जरिए 5 करोड़ से ज्यादा लागत की बड़ी-बड़ी मशीनें यहां पर लगाई गई थी जिसमें अलग-अलग इलाकों में इस मशीन के जरिए सर्च किया गया।
मेटल डिटेक्टर का भी इस्तेमाल किया गया और इन्हीं जगह पर 2 मीटर से लेकर 12 मीटर तक जीपीआर से इन्वेस्टिगेशन किया गया।
जिस जमीन के नीचे से वाइब्रेशन आ रहे थे उसी वाइब्रेशन की स्टडी करके कोर्ट ने अपने रिपोर्ट तैयार की थी। दोस्तों सोमनाथ मंदिर के इतिहास को देखें तो यह पता चलेगा कि इस मंदिर को कई बार तोड़ा गया और कई बार लूटा गया।
पर आखिर क्यों? आखिर आक्रमणकारियों को इस मंदिर के बारे में ऐसी क्या बात पता थी जिसके कारण उन्होंने इस मंदिर को बार-बार लूटा और तोड़ा।
ऐसे में सोमनाथ मंदिर के नीचे भूमिगत इमारतों और गुफाओं से इस मंदिर को लूटने का कुछ तो रहस्य जरूर है जिस पर गहन शोध होना बहुत जरूरी है।
दोस्तों सोमनाथ मंदिर का एक बार दर्शन जरूर करियेगा। तो दोस्तों कैसी लगी यह जानकारी हमें कमेण्ट सेक्शन में अवश्य बतायें। अपने मित्रों के साथ यह जानकारी शेयर करना ना भूलें। धन्यवाद!