What happens forty seconds before Death? मृत्यु से 40 सेकण्ड पहले क्या होता है?
मृत्यु से 40 सेकण्ड पहले क्या होता है? | What happens forty seconds before Death?
मृत्यु से 40 सेकण्ड पहले क्या होता है? || What happens forty seconds before Death?

दोस्तों आप सभी के मन में यह सवाल तो आता ही होगा कि आखिर मृत्यु से पहले इंसान के साथ-साथ क्या होता है? आखिर अंतिम समय पर इंसान की क्या मनोदशा होती है? वह क्या सोचता है और इसके क्या लक्षण होते हैं?
आखिर क्या हैं वह लक्षण जिनसे उस व्यक्ति के परिजन यह पता लगा सकते हैं कि उस व्यक्ति की मृत्यु निश्चित है?
इन सभी सवालों का जवाब छुपा हुआ है हमारे धर्मशास्त्रों के अंदर और जरूरत तो बस इतनी सी है कि हम उनका ध्यान से अध्ययन करें।
तो दोस्तों आज हम आपको यह बताएंगे कि मरने से ठीक 30-40 सेकेण्ड्स पहले क्या क्या होता है मरणासन्न व्यक्ति के साथ।
वैसे तो मृत्यु वह शब्द है जिसे सुनकर मनुष्य के मन में अनायास ही भय का उद्गम हो जाता है परंतु इसके विपरीत इंसानी दिमाग अपनी फितरत के अनुसार मृत्यु के बारे में और भी जिज्ञासु भी होता जाता है।
अब चाहे आप अपनी जिंदगी में कितने भी सपने संजो के रखें या फिर कितनी भी उम्मीदें, रुपये-पैसे आदि का भण्डार कर लें, एक न एक दिन वह सब समाप्त हो जाता है और आपके सभी संबंध भी समाप्त हो जाते हैं।
इस सवाल का जवाब छिपा हुआ है भैरवी यातना के अंदर। इसका संबंध काल भैरव से है और दूसरे शब्दों में इन्हें समय का देवता भी कहा जाता है।
काल भैरव, महादेव शंकर जी का ही एक रौद्र रूप है। इनका वाहन है श्वान या कुत्ता और इन्हें समय का देवता भी कहा जाता है। इन्हें काशी का कोतवाल भी कहते हैं और इनकी पूजा करने से मनोकामनायें पूर्ण होती हैं।
दोस्तों ऐसा माना जाता है कि जो सच्चे मन से काल भैरव की आराधना करते हैं उनके अंदर के सभी भय समाप्त हो जाते हैं। इसी कारण से काल भैरव को बहुत ही ऊँचा दर्जा प्राप्त है।


पुरानी मान्याताओं की मानें तो ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति काशी में अपने प्राण त्यागता है तो उसे मुक्ति मिलना तय है और उसे स्वर्ग की प्राप्ति होगी। चाहे अब भले ही किसी ने अपने जीवन में कितने भी बुरे कर्म किये हों।
परंतु इस मान्यता का लोगों ने गलत फायदा उठाया और जीवनभर बुरे कर्मों मे रत रहने के कारण भी अंतिम समय में काशी में निवास करने लगे।
इस प्रकार काशी में बुरे लोगों का जमावड़ा होने लगा। जो नगरी किसी समय प्रेम और भक्ति की नगरी हुआ करती थी वहां पर अब बुराई और अत्याचार का बढ़ावा था।
जब यह सारा हाल भगवान शिवजी को पता चला तो उन्होंने भैरवी यातना का प्रबंध किया। इस प्रकार भगवान शिव ने काल भैरव का रूप धारण किया जो कि उनका जानलेवा और मारक रूप है। What happens forty seconds before Death?
उन्होंने समय को नष्ट करने का ठान लिया था। जबकि सभी भौतिक क्रियाएं समय के कारण ही संभव हैं। यातना का अर्थ होता है कष्ट। कहते हैं कि जो पीड़ा नर्क में होती है ठीक वैसी ही पीड़ा मरने से ठीक 40 सेकेंड पहले होती है।
मरने से ठीक पहले मनुष्य को इस जन्म के साथ साथ पिछले कई जन्मों के कर्मों का पूरा चित्र हमारे सामने होता है। सब कुछ 40 सेकेण्ड के भीतर ही हो जाता है और इसमें काफी पीड़ा होती है।
मरने वाला इंसान इतने समय में ही अपने पूर्व जन्मों के कर्मों को देख लेता है। इसके बाद ही मनुष्य अपनी देह का त्याग कर पाता है।
यह ऐसी घटना है जिसमें कई सारे जीवन काल मरने वाले व्यक्ति के सामने आ जाते हैं। इन्हीं क्षणों में ही सब कुछ जैसे दुख सुख या तकलीफ महसूस हो जाती है। मृत्यु से पूर्व अनंत तेज गति से आपके जीवन के सभी कर्म आपके सामने होते हैं।
अब चाहे कोई वृद्ध होकर मरे या फिर किसी बीमारी से, इस यातना से तो हर किसी को गुजरना पड़ेगा। भैरवी यातना इन्हीं 40 सेकेण्ड्स में होती है और इसके कष्ट की कल्पना करना भी दुष्कर होता है।


इसी लिये तो कहा जाता है धर्मशास्त्रों के अनुसार ही जीवन में अच्छे कर्म किये जायें और सद्गति प्राप्त किया जाये। ऐसा करने से अंत समय में यातना को सहन नहीं करना पड़ता है।
मनुष्य के कर्म ही उसका अंत निर्धारित करते हैं। यह शरीर तो बस एक आधारशिला मात्र ही है। उधर गरूण पुराण में भी मरणासन्न व्यक्ति के बारे में बताया गया है।
इसके अनुसार जब शरीर की इंद्रिया काम नहीं करती हैं तो व्यक्ति के प्राण यमराज के दूतों के साथ चलने लगते हैं। कहते हैं कि मृत्यु के समय व्यक्ति को दिव्य दृष्टि प्राप्त होती है और वह समस्त संसार को देख सकता है।
जब प्राण कण्ठ में अटक जाते हैं तो बड़ा कष्ट होता है और इसी समय मुख लार से भर जाता है। और यह देखते ही मृतक के परिजनों को यह आभास हो जाता है कि उस व्यक्ति की मौत समीप है।
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